चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय और छात्रों का विरोध प्रदर्शन
पिछले कई दिनों से हरियाणा की एक मात्र कृषि विश्वविद्यालय जो कि हिसार में स्थित है वहां के छात्र बहुत ही ज्यादा चर्चा में हैं। चर्चा का मुख्य कारण वहां विरोध हो रहा है। जहां पर यूनिवर्सिटी के छात्र और उसके प्रशासन के बीच तनाव का माहौल देखा जा रहा है। हम आपको बताएंगे कि किस तरह से यह विरोध शुरू हुआ और अब क्या मोड़ ले चुका है
विरोध का मुख्य कारण
- असल में हुआ के यूनिवर्सिटी के एडमिनिस्ट्रेशन ने छात्रों को दिए जाने वाली स्कॉलरशिप में बदलाव करना चाहा। इसका मुख्य कारण यूनिवर्सिटी में फंड की कमी थी। तथा एलडीवी (भूमि दानकर्ता ग्राम) कोटा में भी बदलाव किया गया।
- जिसे नाराज होकर छात्रों ने अपने विश्वविद्यालय के प्रशासन से बात करनी चाहिए और जब बात करने से कोई हल नहीं निकला तो विरोध करने का इरादा बना लिया है
विश्वविद्यालय वजीफा/योग्यता वजीफा (UNIVERSITY STIPEND/MERIT STIPEND)
- पहले जितने भी यूनिवर्सिटी के छात्र थे अगर उन्हें 75% से अधिक मार्क्स मिले तो उन्हें अधिक स्कॉलरशिप दी जाती थी मुकाबला उन छात्रों के जिनके 75% से कम नंबर थे।
- पीएचडी के स्टूडेंट के लिए 10000 थी अगर उनके 75% से कम नंबर से तो हो वाह रकम 5000 थी। बाल्की मास्टर डिग्री प्रोग्राम के स्टूडेंट के लिए यह रकम 6000 के और 75% से कम अंक पाने वाले बच्चों के लिए यह रकम 3000 थी।
भूमि दान की गई सीटें (Land Donated Seats) LDV
- विश्वविद्यालय के साथ समझौता ज्ञापन के अनुसार केजीके/केवीके/अनुसंधान केंद्र की स्थापना के लिए भूमि दान करने वाले गांव के अभ्यर्थी को प्रत्येक यूजी, एमएससी और पीएचडी कार्यक्रम में एक अतिरिक्त सीट प्रदान की जाएगी, बशर्ते अभ्यर्थी उस कार्यक्रम के लिए निर्धारित न्यूनतम योग्यताएं पूरी करता हो जिसमें प्रवेश चाहा जा रहा है और जहां भी आवश्यक हो, प्रवेश परीक्षा/कृषि योग्यता परीक्षा उत्तीर्ण कर ली हो।
- भूमि दान वाले गांवों के लिए स्नातकोत्तर और पीएचडी कार्यक्रम में प्रवेश के लिए एक विषय में दो से अधिक सीटें नहीं दी जाएंगी।
नियमों में बदलाव
- चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (CCSHAU) मैंने अभी बदलाव किया है कि जो पहले मार्क्स के हिसाब से वजीफा दिया जाता था। अब सिर्फ एक बैच के 25% बच्चों को ही मिलेगा साथी में या भी बदलव किया गया अगर जमीन दान सीट पर कोई एक बच्चा एक समय में एडमिशन ले लेता है तो उसको अगली डिग्री में एलडीवी कोटा का लाभ नहीं उठा पाएगा
विश्व विद्यालय बना युद्ध का मैदान
- विद्यालय युद्ध का मैदान बनने के पीछे मुख्य कारण प्रशासन की लापरवाही और आंतरिक और बाहरी राजनीति है जिसका बीच छत्रों का शोषण किया जा रहा है। नसीरफ विश्वविद्यालय प्रशासन की तरफ से किया जा रहा है बाल्की बहार से आये राजनीतिक नेताओं ने भी मंच को थाम लिया है। जिस छात्र की आवाज काम और राजनीति की आवाज ज्यादा बनने लगी।
छत्रों पर लाठीचार्ज
- जब छात्र अपना विरोध कर रहे थे। तो उसके बीच एक दिन उन्हें यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डॉ. बी. आर कंबोज के घर का घेराव किया। उस दिन प्रशासन की तरफ से कहा गया कि बच्चों ने बदतमीजी की और जिस वजह से वह शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन कर रहे थे, एक लाठीचार्ज में तबदील हो गया, एक प्रोफेसर को बच्चों पर डंडे चलाते भी देखा, जिसे यूनिवर्सिटी प्रशासन ने तत्काल रूप से सस्पेंड कर दिया।
नियमो को वापस लेना
- जैसा ही देखा गया कि विश्व विद्यालय युद्ध का मैदान बन गया है। प्रशासन और छात्रों के बीच तनाव का माहौल है, इस बात को ध्यान में रखते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन ने सारे नियमों को वापस ले लिया। तथा तत्काल प्रभाव से पेये गे अरोपी प्रोफेसर को सस्पेंड कर दिया गया
छात्रों की नई मांगें
- छत्रों की अब मांग है कि यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर को उनके पद से हटा दिया जाए। तथा जितना प्रशासन है उन्हें बदला जाए। बात पर फिल्हाल सरकार और छात्र सीधे तोर पर बात कर रहे हैं। सरकार ने हौसला देने के बाद भी छत्रों से अभी तक इस बात में कोई सरकारी नोटिस नहीं निकला है जिसे अभी भी छत्र नाराज नजर आ रहे हैं
जाट बनाम नॉन जाट
- हरियाणा की राजनीति में जट एक मुखिया रोल में रहते हैं। हरियाणा की ज्यादातार राजनीति जाट बनाम नॉन जाट पर ही चलती है। कुछ ऐसा ही माहौल अब छत्रों के इस विरोध में देखा जा रहा है। यहां कुछ सूत्रों का कहना है कि यहां तो जाट वर्सिस नॉन जाट है वही छात्र संघ ने इस बात से इंकार किया है। उनको कहा है कि ये जाट वर्सिस नॉन जाट नहीं बल्की याह स्टूडेंट वर्सिस यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन है। इस मंच पर जितने भी राजनेता अभी तक दिखे हैं वहां कांग्रेस जेजेपी और इनेलो के हैं। जो मुख्या जाट नेता है इसलिए यूनिवर्सिटी में नॉन जाट वाइस चांसलर को हटाने की मांग को, जाट वर्सिस नॉन जाट कह जा रहा है। साथ ही कुछ आंतरिक राजनीति को भी इसमें देखा जा रहा है क्योंकि विरोध को फंड करने के लिए कुछ आंतरिक प्रोफेसर ने भी पैसों का योगदान दिया है। ताकि ये तो विरोध चलता रहे और नॉन जाट वाइस चांसलर को उसके पद से हटाया जा सके। अब याह कितना जात वर्सिस नॉन जात है इस बात का प्रमाण तो आने वाले समय में ही लगया जा सकता है अभी तक सरकार ने स्टूडेंट को पूरा आश्वासन दिया है कि उनकी सभी मांगे मनी जाएंगी। अब देखने वाली बात यह है कि स्टूडेंट किन बातों को लेकर राजी होते हैं। क्योंकि जो उनके मुख वजह थी वह बाते मन ली गई है। लेकिन वाइस चांसलर को उनके पद से हटाना पूरी तरह से एक राजनीतिक नजर आता है
